Kalpana Chawla Biography in Hindi (Birthdate, Education, Age, Husband, Death, and Story)
भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला को देश भर की महिलाए एक आदर्श के रूप में देखती हैं. कल्पना ने 2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था,इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था और चाँद पर कदम रखा था.कल्पना का सफर भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है,और उन्हें नासा में मिलने वाली जिम्मेदारियां एवं सफलता भारत का सर और ऊँचा कर देती हैं,इसीलिए कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं.कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं, तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ, तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो”. कल्पना भारत के पहले पायलट जे.आर.डी टाटा से प्रभावित थी, इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी. भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा हैं- कप्लना-1. कल्पना के देहांत के बाद उनके पति भारत आये थे और कल्पना के भस्मावशेषों को हिमालय पर बिखेरा था ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके.
(Hindi Biography of Kalpana Chawla)
नाम | कल्पना चावला |
जन्म | 1 जुलाई 1961 |
मृत्यु | 1 फरवरी 2003 |
जन्म स्थान | करनाल |
पेशा | इंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट |
लम्बाई | 5’7” |
बालों का रंग | काला |
आँखों का रंग | काला |
पिता का नाम | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम | संज्योथी चावला |
पति का नाम | जीन पिएरे हैरिसन |
प्राथमिक शिक्षा | करनाल से |
बीएससी | पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज |
एम.एस | टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग |
पीएचडी | एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से की |
पहली अन्तरिक्ष की यात्रा | 1996 में STS-87 |
दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा | 2003 में STS-107 फ्लाइट |
मृत्यु का कारण | स्पेस शटल का टूटना |
अवार्ड्स | कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक |
(Kalpana Chawla was born)
कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में उड़ान भले अमेरिका से भरी हो लेकिन उनका जन्म भारत मे हुआ था. इनकी जन्म तिथी 17 मार्च 1962 हैं. कल्पना मुलत: भारतीय नागरिक थी इनका जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था
(Kalpana Chawla Educational Services)
कल्पना ने अपनी बीएससी भी 1982 में भारत के ही पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में की. उसके बाद वो मास्टर की डिग्री करने टेक्सास चली गई जहाँ कल्पना ने टेक्सास यूनिवर्सिटी से 1984 में एरोस्पस इंजीनियरिंग में एमएससी की. इसके बाद 1988 में उन्होंने कोलोराडो यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की. कल्पना की परवरिश उन्मुक्त माहौल में हुई थी जिसमें मेहनत को प्रोत्साहन मिलता था.
(Kalpana Chawla Household)
कल्पना का जन्म संज्योथी चावला और बनारसीलाल चावला के यहाँ हुआ था. कल्पना की 2 बहनें हैं जिनका नाम दीपा और सुनीता हैं .इसके अलावा एक भाई संजय भी हैं. कल्पना ने अमेरिका में पढाई के दौरान वहीँ पर शादी करने का फैसला कर लिया और उन्होंने अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जीन पिएरे हैरिसन से शादी की थी,इस शादी के बाद कल्पना को यूएस की नागरिकता मिल गयी.
(Funny Facts)
कल्पना बचपन से जिज्ञासु प्रवृति और स्वतंत्र स्वभाव की थी. कल्पना ने अपना नाम तक खुद चुना था.इसके बारे में उनकी मासी बताती हैं कि कल्पना को घर पर सब “मोंटो” नाम से बुलाने लगे थे लेकिन उनके घर के पास ही “टैगोर बाल निकेतन स्कूल में प्रवेश के समय वहां की प्राध्यापिका ने उनका नामा पूछा. तब कल्पना की मासी ने कहा की उनके दिमाग में 3 नाम हैं कल्पना,ज्योत्स्ना और सुनैना लेकिन अभी तक कोई नाम तय नहीं हुआ है तब प्राध्यापिका ने नन्ही चावला से ही उनकी इच्छा पूछी कि उन्हें कौनसा नाम पसंद हैं तो उसने तुरन्त कल्पना नाम चुना.
(Kalpana Chawla Professional Career)
1988 में कल्पना चावला ने अपनी डॉक्टरेट पूरी होते ही नासा एम्स रिसर्च सेंटर में पॉवर-लिफ्ट कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनामिक्स में काम करना शुरू कर दिया.उनका शोध एयरक्राफ्ट के आस-पास हवा का प्रवाह देखने का था. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद फ्लो सॉल्वर में मैपिंग के साथ गणना का काम किया. 1993 में कल्पना चावला ने ओवरसेटमेथड्स इंक.,लोस एटलोस,कैलिफोर्निया में वाईस प्रेसिडेंट और रिसर्च वैज्ञानिक के तौर पर जॉइन किया,यहाँ उनका काम एक टीम बनाकर अन्य रिसर्चर के साथ मूविंग मल्टीपल बॉडी प्रॉब्लम के अनुकरण को देखना था. वो विकास और एयरोडायनामिक ऑप्टिमाइजेशन में आवश्यक तकनीकों के प्रयोग के लिए जिम्मेदार थी. कल्पना चावला द्वारा किये गए विभिन्न प्रोजेक्ट्स अलग-अलग पेपर्स कई जर्नल्स में प्रकाशित हो रखे हैं.
(NASA Experience for Kalpana Chawla)
1994 में कल्पना चावला का नासा में चयन हो गया,इसके बाद कल्पना ने 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनॉट प्रतिभागी के तौर पर एस्ट्रोनॉट के 15वें ग्रुप में जॉइन किया.
एक साल तक प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद वो EVA/रोबोटिक कंप्यूटर ब्रांच के एस्ट्रोनॉट ऑफिस में टेक्निकल इशू के काम के लिए क्रू प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त की गयी.
उनको दिए गए कामों में रोबोटिक सिचुएशनल अवरेनेस डिस्प्ले और टेस्टिंग स्पेस शटल कण्ट्रोल सॉफ्टवेयर इन दी शटल, एविओनिकस इंटीग्रेशन लेबोरेटरी में सॉफ्टवेयर को नियंत्रित करना था.
नवम्बर 1996 में कल्पना चावला को STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त किया गया. जनवरी,1998 में उन्हें शटल और स्टेशन फ्लाइट के लिए क्रू रिप्रेजेन्टेटिव के पद पर नियुक्त किया गया,उसके बाद उन्होंने एस्ट्रोनॉट ऑफिस क्रू सिस्टम एंड हैबिटेबिलिटी सेक्शन में काम किया.
स्पेस फ्लाइट अनुभव: STS-87 कोलंबिया (19 नवम्बर से 5 दिसम्बर 1997 तक).
STS-87 चौथी यूएस माईक्रोग्रेविटी पेलोडफ्लाइट थी और यह इस प्रयोग पर आधारित थी कि अन्तरिक्ष में वजन रहित वातावरण में कैसे विभिन्न भौतिक गतिविधियाँ होती हैं, और सूर्य के बाहरी वायुमंडलीय ऑब्जरवेशन का कार्य भी इसमें शामिल था. क्रू के 2 सदस्यों का काम EVA (स्पेस वाक) था जो कि एक स्पार्टन उपग्रह का मैन्युअल कैप्चर दिखाया गया,इसके साथ EVA टूल्स की टेस्टिंग और भविष्य के स्पेस स्टेशन असेंबली की प्रक्रिया तय करना था. STS-87 ने धरती के 252 परिक्रमा 36 घंटे और 34 मिनट में की थी.
STS-107 कोलम्बिया (16 जनवरी से 1 फरवरी 2003 तक):
16 दिनों की ये उड़ान विज्ञान और रिसर्च मिशन को समर्पित थी.एक दिन में 24 घंटे का काम होता था,जिसमे क्रू के सदस्य 2 शिफ्ट में बारी-बारी से 80 प्रयोग का सफल परिक्षण कर चुके थे. STS-107 मिशन का 1 फरवरी 2003 को अकस्मात अंत तब हो गया, जब स्पेस शटल कोलम्बिया और क्रू निर्धारित लैंडिंग से 16 मिनट पहले प्रवेश करते हुए नष्ट हो गया.
(Kalpana Chawla’s Untimely Death)
1 फरवरी 2003 की सुबह जब स्पेस शटल धरती पर लौट रहा था और कैनेडी स्पेस सेंटर पर लैंड करने वाला था. तब लांच के समय एक ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का टुकड़ा टूट गया और इसने शटल के उस विंग्स को क्षतिग्रस्त कर दिया जो कि इसकी री-एंट्री के समय हीट से रक्षा कर रही थी. जैसे ही शटल वातावरण मे पहुंचा,विंग के अंदर की गर्म हवा ने इसको तोड़ दिया. अस्थायी क्राफ्ट हिला और लुढ़का और 1 मिनट के भीतर ही शिप के सभी क्रू सदस्य इसकी चपेट में आ गए. जमीन पर गिरने से पहले टेक्सास और लुसियाना पर इसका शटल टुटा. यह दुर्घटना 1986 में शटल चेलेंजेर में हुए विस्फोट के बाद स्पेस शटल प्रोग्राम के लिए दूसरी बड़ी दुर्घटना थी.
और कौन था कल्पना के साथ उनके अंतिम समय में
कल्पना चावला के साथ उनके क्रू में कमांडर रिक.डी.हस्बैंड, पायलट विलियम सी.एमसीकूल,पेलोड कमांडर माइकल पी.एंडरसन, पेलोड स्पेशलिस्ट इलान रामोन जो कि पहले इजरायली एस्ट्रोनॉट थे और मिशन स्पेशलिस्ट डेविड एम.ब्राउन और लॉरेल बी.क्लार्क थे.
(Awards for Kalpana Chawla)
कल्पना को मरणोपरांत काफी पुरूस्कार और सम्मान मिले, जिनमें कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक प्रमुख है. 2003 में कल्पना के देहांत के बाद भारत के प्रधानमंत्री ने मौसमी सेटेलाईट के नाम कल्पना के नाम पर रखने की घोषणा की जिस कारण MetSat-1 नाम के सेटेलाइट का नाम कल्पना के नाम पर रखा गया. MetSat-1 was launched on December 12, 2002. इसी दौरान 2004 में कर्नाटक सरकार द्वारा यंग महिला वैज्ञानिको के लिए कल्पना चावला अवार्ड भी स्थापित किया गया. नासा ने कल्पना चावला की याद में उन्हें सुपरकंप्यूटर भी समर्पित किया.
Kalpana Chawla Films
कल्पना चावला पर फिल्म बनाने के लिए अब तक कई अफवाहें उड़ चुकी हैं जिसमे 2017 में प्रियंका चौपड़ा से सम्बन्धित आई अफवाह मुख्य हैं.लेकिन 2017 में QUORa डिस्कशन में चावला के पति जीन पिएर हैरिसन ने कहा “जब तक मैं एक पब्लिक स्टेटमेंट नहीं दे देता कि ऐसे किसी प्रोजेक्ट में मेरी भागीदारी है. तब तक ये सच हैं कि मैंने ऐसे किसी अग्रीमेंट पर साइन नहीं किया है,नाहीं ऐसी फिल्म बनाने के अधिकार किसी को दिए हैं.
FAQ :
Q: कल्पना चावला कौन थी?
Ans: एक अंतरिक्ष यात्री
Q: कल्पना चावला कैसे मरी थी?
Ans: स्पेस शटल धरती पर लैंड होते समय
Q: कल्पना चावला की उम्र कितनी थी?
Ans: 42 साल
Q: कल्पना चावला की मृत्यु कब हुई?
Ans: 1 फरवरी 2003
Q: कल्पना चावला का जन्म कब हुआ?
Ans: 1 जुलाई, 1961